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बिहार की एक पंचायत में खाप पंचायतों की तरह तुगलकी फरमान सुनाए गए हैं. राज्य के किशनगंज जिले के सुंदरबाड़ी पंचायत ने अविवाहित युवतियों के मोबाइल इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है.
इसके साथ ही इस पंचायती आदेश में विवाहित महिलाओं को केवल अपने घर की चाहरदीवारी के भीतर मोबाइल के इस्तेमाल का फरमान सुनाया गया है.
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पंचायत की ये बैठक किशनगंज के टुपामारी गांव में रविवार को हुई जिसमें एक सामाजिक परामर्शक समिति का गठन किया गया. इस समिति को मोबाइल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को लागू करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.
जुर्माना
पंचायती आदेश में ये कहा गया है कि अगर अविवाहित युवतियां इसका उल्लंघन करती पाई जाती हैं तो उनपर 10 हज़ार रुपए का जुर्माना लगेगा जबकि विवाहित महिलाएं अगर अपने घर के बाहर सेलफ़ोन के साथ जाती हैं और फोन करती या रिसीव करती पाई जाती हैं तो उनपर दो हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.सामाजिक परामर्शक समिति के अध्यक्ष मनवर आलम का कहना है कि महिलाओं के सेलफोन इस्तेमाल से समाज का नैतिक तानाबाना बुरी तरह प्रभावित होता है.
उनके मुताबिक महिलाओं द्वारा अनियंत्रित सेलफोन इस्तेमाल से विवाह पूर्व और विवाहेतर संबंधों को बढ़ावा मिलता है और इससे शादी जैसे संस्थान के टूटने का ख़तरा पैदा हो जाता है.
समिति के अधिकारियों का कहना था कि सेलफोन की सुलभता की वजह से पिछले चार-पांच महीने में छह ग्रामीण लड़कियां अपने प्रेमियों के साथ भाग गई हैं.सुंदरबाड़ी के 8,000 ग्रामीणों में से 90 फीसदी ने इस पंचायती बैठक में हिस्सा लिया जिसमें महिलाओं के खुले में स्नान करने पर भी पाबंदी लगाई गई है.हालांकि सुंदरबाड़ी की निर्वाचित सरपंच असमिरा ख़ातून और मुखिया शमीना ख़ातून इस पंचायती बैठक और इसमें लिए गए फैसले से खुद को अलग रखते हुए कहती हैं कि इस बैठक के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई थी.
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‘राम की जन्मभूमि हमारे लिए नई जगह थी’
नब्बे के दौर के शुरुआती साल और उनमें बना माहौल 7-8 साल के हमउम्र दोस्तों के लिए बड़ा अबूझ था. हमारे जिले फैजाबाद की फिजा में ऐसा बहुत कुछ घट रहा था जो हम बच्चों के लिए नया नया था जिसे हम कौतूहल के साथ देखते और सुनते भर थे.स्कूल आते-जाते हुए हम बसों में कारसेवकों को अयोध्या की ओर जाते हुए देखते थे.
भारत
वो तेज आवाज में कई नारे लगाते हुए जाते थे जो अभी भी यादों में हैं. राम की नगरी में ही हमें नारों में सुनाया जाता था- ‘बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का’.अयोध्या से आठ कोस दूर गाँव में रहते थे, राम को बहुत छुटपन से ही जानते थे लेकिन यह ‘जन्मभूमि’ हमारे लिए नई जगह थी. गाँव के लोग ‘नहान’ पर अयोध्या सरयू में डुबकी लगाने जाते थे, परिक्रमा जाते थे, हनुमान गढ़ी जाते थे लेकिन जन्मभूमि का परिचय हमें रेडियो, अखबारों और कारसेवकों से मिला.
धीरे-धीरे बाजार और मेलों में लुगदी-कागज में छपी ऐसी किताबें भी बिकती हुई दिखतीं जो ‘जन्मभूमि का इतिहास’ बताती थीं. लोग इन्हें खरीदते और पढ़ते थे, ऐसी ही किताबों के हवालों से बड़ी-बड़ी चर्चाएं और दावे करते.
उमा भारती और ऋतंभरा के कैसेट
गाँव के एक घर में उमा भारती और ऋतंभरा के भाषण की कैसेट थी. उन्हीं के यहाँ एक टेप भी था, वह भी दहेजू! वे तेज आवाज में इन कैसेटों को बजा देते थे और लोग चारों तरफ इकट्ठा होकर इन्हें सुनते. इन्हें सुनते हुए लोगों में उत्तेजना होती, तनाव भी होता और दुख भी.गाँव के कई घरों में राम जन्मभूमि के लिए जान देने वाले कई कारसेवकों में से किन्हीं कोठारी-बंधुओं की फोटो भी दीवारों पर लगी हुई देखी जा सकती थीं. लोगों की निगाह में वे धर्म के लिए शहीद हुए थे.इन कोठारी-बंधुओं की चर्चाएँ लोग कुछ इस अंदाज में करते- ”इनकी माँ ने इन्हें भेजा था यह कहते हुए कि बेटा या तो मंदिर बनवा कर आना नहीं तो मत आना’.
यह एक ऐसी व्यापक राम-लहर थी जिसके बल पर भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश की सत्ता पर आसानी से काबिज हुई थी. लोगों ने उसे मंदिर बनवाने के लिए वोट दिया था. उसे भी अपनी आगे की राजनीति के लिए ‘बाबरी मस्जिद के ढाँचे’ को गिराना जरूरी था.
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बंद होंगे याहू के पब्लिक चैट रुम
आप में से बहुतों से याहू पब्लिक चैट में नए-नए दोस्त बनाए होंगे. याहू मैसेज की ये सेवा अब बंद हो रही है. याहू कंपनी ने कहा है कि वे पब्लिक चैट को स्थाई रूप से बंद कर रही है.
याहू के मशहूर ‘चैट रूम’ साल 2005 में उस समय विवादों में आना शुरू हो गए थे जब कंपनियों ने अपने विज्ञापन देने बंद कर दिए थे. इसकी वजह सेक्स संबंधी अवैध चैट रुमों का याहू पर मौजूद होना माना गया था.
लेकिन याहू कंपनी की ओर से आए ब्लॉग में लिखा गया है कि ये सेवा अब वेबसाइट के इस्तेमाल करने वालों के लिए पर्याप्त लाभ नहीं पहुंचा रही है.
याहू चैट रुम 14 दिसंबर से गायब हो जाएंगे और इन्हीं से संबंधित कुछ अन्य फ़ीचर जनवरी के अंत तक हटा दिए जाएंगे.
याहू ने अपने ब्लॉग में लिखा है, “कभी-कभी हमें सख़्त फ़ैसले लेने होते हैं. ऐसा करने से हम उन चीज़ों पर ऊर्जा ख़र्च कर सकते हैं जिनसे यूज़र्स को हमारी वेबसाइट पर अच्छा अहसास.”
कम उम्र लड़कियां
याहू मैसेंजर को 1998 में लांच किया गया था. लेकिन साल 2005 के आते-आते ये सेवा विवादों में गिरने लगी थी.
इसी साल याहू ने इस मैसेंजर के कई पब्लिक चैट रूमों को बंद कर दिया था.
याहू के पब्लिक चैट रूमों सेक्स संबंधी चैट से विज्ञापन देने वाले भी दुखी थे. साल 2005 में कुछ चैट रुम बंद किए गए थे.
बंद किए जाने वाले चैट रुम थे– तेरह साल की लड़कियां जो अपने से ज़्यादा के उम्र वालों के लिए तैयार हैं, लड़कियां उम्रदराज़ मर्दों के लिए और 8 से 12 साल की लड़कियां उम्रदराज़ मर्दों के लिए.
इन्हें बंद करते वक्त याहू ने घोषणा की थी वे अब सिर्फ़ 18 वर्ष या उससे अधिक के व्यक्तियों को ही अपने मैसेंजर का प्रयोग करने देंगे.
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