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130 ज़िलों में है ज़मीन की जंग

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राइट्स एंड रिसोर्सेज इनीशिएटिव’ और ‘सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ वेस्टलैंड डेवलपमेंट’ के मुताबिक आने वाले 15 सालों में बड़ी परियोजनाओं के चलते भारत में संघर्ष और अशांति की आशंका है.रिपोर्ट के मुताबिक गरीब ग्रामीण भारत के संसाधनों का दोहन लगातार जारी है और इसकी वजह से पूरे भारत के लगभग सभी राज्यों में संघर्ष की स्तिथियां पैदा हो रही हैं.

विश्व के शीर्ष विशेषज्ञों का मानना है कि भारत भी चीन, दक्षिण कोरिया और सऊदी अरब जैसे देशो की कतार में शामिल हो गया है, जहाँ ‘ज़मीन का संकट’ है. और ये देश विकासशील देशों की मुख्य आजीविका के स्रोत खेती की ज़मीन छीनने लगे हैं.

भारत में लगातार हो रहे भूमि अधिग्रहण पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 के बाद से 130 जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं.इन परियोजनाओं के लिए एक करोड़ दस लाख हेक्टेयर ज़मीन का अधिग्रहण होगा और इसका असर करोड़ों लोगों की आजीविका और जीवन पर पड़ेगा.संस्था ‘कैंपेन फॉर सरवाइवल ऐंड डिग्निटी’ से जुड़े शोधकर्ता शंकर गोपालकृष्णन का कहना है,”सामुदायिक स्वामित्व वाली भूमि का बेशर्मी से हो रहा अधिग्रहण भारत के बड़े हिस्से में एक ज्वलंत मुद्दा है,”


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गुजरात में फिर चलेगा नरेंद्र मोदी का जादू


गुजरात में नरेंद्र मोदी की जीत की हैट्रिक को उनके विरोधी भी अब संदेह की नजर से नहीं देख रहे। बस देखना यह है कि नतीजों के बाद मोदी शिखर पर बने रहते हैं या कमजोर होते हैं। 20 दिसंबर को गुजरात के चुनावी नतीजों पर बस मोदी की जीत के अंतर पर ही सबकी नजरें हैं। पटेल फैक्टर या सत्ता विरोधी लहर के पूर्वानुमानों को सभी एक्जिट पोल नकार रहे हैं। सभी एक्जिट पोल नरेंद्र भाई मोदी की पूरी हनक के साथ वापसी की भविष्यवाणी कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस पूरी ताकत झोंकने के बावजूद अपनी सीटें बढ़ाना तो दूर, पिछले आंकड़े से पीछे जाती दिख रही है।


गुजरात में पहले चरण की तरह ही दूसरे चरण में भी रिकार्ड 70 फीसद से ज्यादा मतदान हुआ है। इसके बाद नरेंद्र मोदी भी अब वहां कीर्तिमान स्थापित करते नजर आ रहे हैं। एक्जिट पोल न सिर्फ मोदी की जीत का आकलन कर रहा है, बल्कि वह विधानसभा चुनाव में पाई गई सीटों के आंकड़े को छूते या उसे पार करते नजर आ रहे हैं। एक्जिट पोल के सर्वेक्षणों के मुताबिक, युवा और महिलाओं के बीच मोदी का जादू सिर चढ़कर बोला है। यहां तक कि केशूभाई पटेल फैक्टर भी सौराष्ट्र में बेअसर दिखाई पड़ा। सौराष्ट्र में पटेलों केबीच भी मोदी ही मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद के रूप में उभरे।


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राजधानी फिर शर्मसार, 48 घंटे में तीन बलात्कार


बीते 48 घंटे में राजधानी में रेप की तीन वारदातें सामने आई हैं। चलती बस में छात्रा के साथ गैंगरेप किया, दूसरी घटना में न्यू अशोक नगर इलाके में घर में घुसकर युवती को हवस का शिकार बनाया गया, वहीं तुर्कमान गेट इलाके में बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ। तीनों वारदातें पुलिस प्रशासन और सरकार की नाकामी बयां करती हैं। देश की राजधानी दिल्ली जो राजनीति का अखाड़ा है, जहां प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था के तगड़े दावे करता है, वहां सड़क पर चलती महिलाएं हों या ऑफिस में काम कर रही प्रोफेशनल्स कोई भी सुरक्षित नहीं। जिस वाहन में वह सवार होती हैं उन्हें पता भी नहीं होता है कि उनके साथ क्या हो जाए। आलम यह कि राजधानी को रेप कैपिटल कहा जाना लगा है।

इन घटनाओं से तो ऐसा ही मालूम पड़ता है कि भीड़-भाड़ भरा इलाका हो या सुनसान सड़के हर जगह महिलाओं को अपनी हिफाजत खुद ही करनी होगी। हमेशा वाहनों की कतार से भरे रहने वाले सड़क मार्ग पर रविवार रात चलती बस में युवती के साथ गैंगरेप की वारदात कुछ ऐसी ही दास्तां बयां करती है। हर मामले में पुलिस प्रशासन की खामोशी उनकी कमजोरी साफ बता देती है। ऐसे में सवाल उठता है कि राजधानी की सड़कों पर युवतियों की अस्मत तार-तार होने का यह सिलसिला आखिर कब थमेगा?


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गुजरात: दूसरे दौर के चुनाव प्रचार का आज अंतिम दिन

धोनी खुद खोद रहे हैं अपनी कब्र: बिशन सिंह बेदी



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