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बलात्कारी को रासायनिक तरीके से नपुंसक बनाने के जिस सुझाव पर आजकल बहस गर्म है, बत्तीस साल पहले संविधान पीठ ने उसे ‘दिस इज आल जोक’ (मजाक) कहकर खारिज कर दिया था। पीठ की टिप्पणी थी कि अदालत किसी को नपुंसक बनाने की सजा कैसे दे सकती है? अदालत कानून के दायरे में सजा सुना सकती है, कानून नहीं बना सकती।
आज जब कांग्रेस और भाजपा समेत कई राजनीतिक दल बलात्कारी को रासायनिक तरीके से नपुंसक बनाने की पैरवी कर रहे हैं तो इस सुझाव के कानूनी पहलू, व्यावहारिकता और परिणाम जांचना लाजमी है। इस तरह का सुझाव पिछले तैंतीस साल में दो बार अदालती फैसलों में आया। पहली बार ‘राजेंद्र प्रसाद बनाम उत्तर प्रदेश’ मामले में मौत की सजा पर विचार करते समय जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर ने बलात्कारी के लिए मृत्युदंड की जगह नपुंसकता के विकल्प का सुझाव दिया था।
दूसरी बार मई, 2011 में दिल्ली की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने सौतेली बेटी से दुराचार करने वाले को सजा देते समय बलात्कारी के केमिकल कैस्ट्रेशन (रासायनिक रूप से नपुंसक बनाने) की पैरवी की।
राजेंद्र प्रसाद बनाम उत्तर प्रदेश मामले के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 1982 में ‘बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य’ मामले की सुनवाई के दौरान फिर विचार किया। जब बलात्कारी को नपुंसक बनाने की वैकल्पिक सजा के सुझाव का जिक्र हुआ तो पीठ ने उसे हंसी में टाल दिया।
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गैंगरेप पीड़िता का नाम उजागर करने के पक्ष में थरूर
ट्विटर पर सक्रिय रहने वाले मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री शशि थरूर के ताजा ट्वीट से विवाद खड़ा होने की आशंका है। थरूर ने दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई 23 वर्षीय युवती की पहचान सार्वजनिक करने की पैरवी की है। उन्होंने पीड़िता का नाम गुप्त रखने पर अचरज जताते हुए इसके पीछे का कारण जानना चाहा है।
उनका कहना है कि अगर पीडि़ता के अभिभावकों को एतराज न हो तो दुष्कर्म के खिलाफ संशोधित होने कानून का नाम पीड़िता पर रखना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि क्यों न उसके नाम को सार्वजनिक करते हुए उसका सम्मान उसकी अपनी पहचान पर करना चाहिए। वह सिर्फ एक प्रतीक नहीं बल्कि एक इन्सान थी। बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 228-ए के तहत पीड़िता का नाम प्रकाशित या प्रसारित करना अपराध है। थरूर का बयान ऐसे समय में आया है जब पीड़िता की पहचान प्रकाशित करने को लेकर एक अंग्रेजी अखबार के खिलाफ दिल्ली पुलिस केस दर्ज करने जा रही है।
उधर, कांग्रेस ने इस मामले पर तत्काल बयान जारी कर इससे अपना पल्ला झाड़ लिया है। कांग्रेस ने कहा है कि इससे पार्टी का कुछ भी लेना-देना नहीं है और यह थरूर के व्यक्तिगत विचार हो सकते हैं।
इससे पहले राजधानी दिल्ली की पुलिस ने दुष्कर्म मामले में महज पंद्रह दिनों में ही चार्जशीट तैयार कर ली है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक आरोपियों पर नौ धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है।
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हाय रे.दिल्ली की सर्दी, पहले दिन ही बन गया रिकॉर्ड
ठंड ने जहां साल के अंतिम दिन लोगों में सिहरन पैदा कर दी वहीं नए साल का आगाज भी रिकार्ड ठंड से हुआ। साल के पहले दिन चार साल का रिकार्ड टूटा। इससे पहले साल 2008 में कम तापमान था।
राजधानी में मंगलवार को न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्शियस और अधिकतम तापमान 15.3 दर्ज किया गया। हालांकि कुछ जगहों पर इससे भी कम तापमान रहा। बुधवार को तापमान में कुछ बढ़ोतरी होगी। उत्तरी राज्यों में हो रही भारी बर्फबारी की वजह से राजधानी में दिन भर कंपकंपी छूटती रही। मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को राजधानी में अधिकतम तापमान में भी कमी दर्ज की गई। अधिकतम तापमान 15.3 डिसे रहा जो सामान्य तापमान से पांच डिसे कम है। इसके अलावा न्यूनतम तापमान में भी तीन डिसे की गिरावट आई है। जगह जगह लोगों ने आग जलाकर ठंड से राहत पाई।
मौसम विज्ञानियों के अनुसार दिल्ली के आया नगर में तो तापमान चार डिग्री से भी नीचे चला गया था। यहां न्यूनतम तापमान 3.7 डिसे और अधिकतम तापमान 13 डिसे रहा। मौसम विभाग के अनुसार बुधवार को अधिकतम तापमान 16 डिसे और न्यूनतम तापमान 5 डिग्री रहने की संभावना है।
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