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चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने छह विकेट से रौंदकर विश्व कप 2013 में सातवां स्थान हासिल कर लिया। इस जीत से भारतीय प्रशंसकों को थोड़ी राहत जरूर मिली होगी। कप्तान मिताली राज की साहसिक नाबाद पारी तो देखने लायक थी। 193 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए एक समय टीम इंडिया के चार विकेट महज 108 रन पर ही गिर गए थे और जीत मुश्किल लगने लगी थी, लेकिन मिताली ने कप्तानी पारी खेलते हुए खेल में रंग जमा दिया।
टीम इंडिया की इस शानदार जीत के पीछे मुख्य रूप से पांच कारण रहे :
1. मिताली राज की नाबाद शतकीय पारी : कटक की मुश्किल पिच पर 193 रनों का लक्ष्य हासिल करना आसान काम नहीं था, लेकिन कप्तान मिताली राज ने साहसिक पारी खेलते हुए नाबाद शतक ठोक दिया और टीम पाकिस्तान के खिलाफ जीत गई। जब टीम इंडिया के चार खिलाड़ी महज 108 रन पर गिर गए थे, तब मिताली और रीमा मल्होत्रा ने सूझबूझ के साथ बल्लेबाजी की। मिताली ने 141 गेंदों में 13 चौके और एक छक्के की मदद से नाबाद 103 रन बनाए।
2. गोस्वामी की धारदार गेंदबाजी : इसमें कोई शक नहीं कि टीम इंडिया की जीत में भारतीय गेंदबाजों ने बड़ी भूमिका निभाई। अगर पाकिस्तान सिर्फ 192 रन ही बना सका तो यह भारतीय गेंदबाजों की कामयाबी है। इसमें मुख्य रूप से झूलन गोस्वामी ने भूमिका निभाई। गोस्वामी ने 10 ओवरों में सिर्फ 17 रन दिए और दो खिलाडि़यों को अपना शिकार बनाया।
3. मध्यक्रम में ए निरंजना का जलवा : पाकिस्तान को मध्यक्रम में रन बनाने से रोकने में ए निरंजना कामयाब रहीं। उन्होंने 10 ओवरों में 35 रन देकर तीन विकेट हासिल किए। निरंजना एक निश्चित अंतराल पर पाकिस्तानी बल्लेबाजों का विकेट लेते जा रही थीं। इससे उनकी कोई लंबी पार्टनरशिप नहीं हो सकी।
4. चुस्त फील्डिंग : सातवें स्थान के लिए इस जंग में भारतीय महिलाओं की फील्डिंग कल देखने लायक थी। कप्तान मिताली राज जिस फील्डिंग की उम्मीद विश्व कप की शुरुआत से कर रही थीं, वह पाकिस्तान के खिलाफ देखने को मिला। कई मौकों पर भारतीय महिलाओं ने सिंगल्स रोके और गेंद को सीमा रेखा के बाहर जाने से भी बचाया।
5. टॉस की भूमिका : उस समय तमाम क्रिकेट विश्लेषक भी चौंक गए जब पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। गेंदबाजों की मददगार पिच पर ऐसा फैसला करना किसी को भी हजम नहीं हो रहा था। ऐसे में पाकिस्तान का यह फैसला भारत के हक में चला गया और पाकिस्तान का जीत का सपना चूर-चूर हो गया।
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उफ.एक वीआईपी पर तीन जवान, 800 लोगों पर एक
आम की बात करने वाले हमारे नेता किस तरह खास की देखभाल करते हैं। यह बताने के लिए यह खबर काफी है। कब राजनेताऔं को हमारी चिंता होगी। देश के विभिन्न राज्यों में मंत्रियों और तमाम वीआईपी लोगों की सुरक्षा पर होने वाले बेहिसाब खर्च पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतराज जताया है। जहां सरकार 800 लोगों के पीछे एक सुरक्षा कर्मी तैनात करती है, वहीं एक वीआईपी के पीछे तीन जवान तैनात किए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन के भीतर सभी राज्यों से वीआईपी सुरक्षा पर होने वाले खर्च का पूरा ब्यौरा मांगा है। ब्यौरा नहीं देने पर राच्य के गृह सचिवों को अदालत में तलब किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले साल दिल्ली सरकार ने वीआईपी सुरक्षा पर 341 करोड़ रुपये खर्च किए है। दिल्ली पुलिस के आठ हजार जवानों को वीआईपी सुरक्षा में तैनात किया गया है। दिल्ली में 459 लोगों को वीआईपी सुरक्षा दी गई है और इस पर सरकारी खजाने से खर्च किया गया है।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीआइपी सुरक्षा और लाल बत्ती मामले में उक्त टिप्पणियां की है। उन्होंने कहा कि अगर यहीं पैसा महिलाओं की सुरक्षा पर लगाया जाता तो अच्छा होता।
दिल्ली सरकार के इस ब्यौरे ने सुप्रीम कोर्ट को भी चौंकाकर रख दिया। कोर्ट के सलाहकार हरीश साल्वे ये कहने से खुद को नहीं रोक सके कि अगर 4000 जवानों को आम आदमी की सुरक्षा में लगा दिया जाता तो दिल्ली में गैंगरेप जैसी वारदात नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सुरक्षा के मौजूदा हालात पर भी कड़ी टिप्पणी की। यहां तक कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री खुद मानती हैं कि यहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। इससे हालात का पता चलता है।
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दिल्ली: काले शीशे वाली कार में गैंगरेप
दिल्ली के स्वरूप नगर में 25 साल की युवती से चार युवकों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म का सनसनीखेज मामला सामने आया है। वारदात के बाद आरोपी युवक सेंट्रो कार से युवती को छोड़ने जा रहे थे। कार में शीशों पर काले रंग की फिल्म लगी देख पीसीआर पुलिसकर्मी ने कार को रोकने की कोशिश की। कार सवार युवक कार रोकने के बजाए तेजी से भागने लगा। बुराड़ी चौक पर उनकी कार पुलिस बैरिकेड से टकरा गई। तभी कार का पीछा कर रहे पीसीआर में तैनात पुलिसकर्मियों ने युवती को उनके चंगुल से मुक्त कराकर युवकों को गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद युवती के बयान के बाद मामले का खुलासा हुआ। बुराड़ी थाना पुलिस इस संबंध में युवती का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में मामला दर्जकर लिया। बाद में मामले को उत्तर पश्चिम जिले के स्वरूप नगर थाने को सौंप दिया।
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मोदी के करिश्मे से कांग्रेस में बौखलाहट
देश की राजधानी में युवाओं के बीच नरेंद्र मोदी के छाप छोड़ने वाले संबोधन के बाद कांग्रेस और केंद्र सरकार के नेताओं को यह सूझ नहीं रहा है कि वे गुजरात के मुख्यमंत्री की बढ़ती लोकप्रियता से कैसे पार पाएं? खिसियाहट में वे अजीब-अजीब से तर्क दे रहे हैं। कोई अन्य राज्यों के मुकाबले गुजरात में विकास की कथित धीमी रफ्तार का उल्लेख कर रहा है तो कोई ऐसे सवाल पूछ रहा है कि आखिर मोदी ने बिजनेस कानक्लेव में गुजरात दंगों पर बात क्यों नहीं की?
मोदी की ओर से आए विकास के दावों पर पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि गुजरात एकमात्र राज्य है जहां पंचवर्षीय योजना में जीडीपी विकास दर कम हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दसवीं पंचवर्षीय योजना में जहां गुजरात की विकास दर 11 फीसद थी वहीं ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में यह घटकर 9.3 प्रतिशत रह गई। साथ ही गुजरात में जीडीपी के अनुपात में कर संग्रह भी कम रहा है।
दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में बुधवार को व्याख्यान देने पहुंचे मोदी की ओर से गुजरात के नमक को लेकर आए बयान पर भी कांग्रेस से तीखी प्रतिक्रिया आई। पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद ने सोशल नेटवर्किग साइट ट्विटर पर लिखा, गुजरात का नमक तो सबने खाया है, परंतु नमक खाकर भी मोदी ने गुजरात का ही खून बहाया है। पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता राशिद अल्वी की नजर में मोदी ने अपने भाषण में परोक्ष रूप से कांग्रेस की नीतियों की तारीफ की। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी इस पर हैरत जता चुके हैं कि मोदी ने गुजरात दंगों की कोई चर्चा क्यों नहीं की?
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